Swami Satyanand Giri Ji

स्वामी सत्यमित्रानन्द जी गिरि व ग्वालियर

पूज्यपाद पद्म भूषण निर्वत्त शंकराचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरि जी का ग्वालियरवासियों पर सदा बड़ा स्नेह रहा और करीब विगत 50 से 55 वर्ष निरन्तर उनका आर्शीवचन मिलता रहा। उनके प्रवचनों और व्यक्तित्व ने हम सबको मोह लिया। सर्वप्रथम राजमाता सिंधिया द्वारा 60 के दशक में उनका नागरिक अभिनन्दन अविस्मरणीय है। उसके बाद तो करीब करीब हर दूसरे या तीसरे वर्ष उनकी कृपा ग्वालियर पर बरसती रही और हम उनकी धारा प्रवाह मधुर वाणी की सरिता में गोते लगाते रहे।

श्री ब्रह्मजीत शर्मा जी ने तो अपने जीवन के आखरी 40 वर्ष स्वामी जी की सेवा में समर्पण कर दिये।

श्री शैवाल सत्यार्थी एवं श्री ब्रह्मजीत शर्मा जी के अथक प्रयास से "समन्वय साधना पथ" वर्षों ग्वालियर से प्रकाशित होती रही।

स्वामी जी के प्रति ग्वालियर के अनुयाईयों की श्रद्धा और समर्पण से ग्वालियर में "समन्वय परिवार सेवा न्यास" परम पूज्य स्वामी जी के उपस्थिति में वर्ष दिसम्बर 2005 में गठित हुआ तत्पश्चात् शासन द्वारा आवंटन भूखण्ड पर सन् 2008 में "समन्वय सेवा आश्रम" की स्थापना परम पूज्य गुरूदेव द्वारा की गई।

स्वामी जी की प्रेरणा से इसी आश्रम में बहुत से लोकहित कार्य आरम्भ किये जाने लगे। आज ग्वालियर के "समन्वय सेवा आश्रम में सत्संग भवन, सर्वेश्वर महादेव मंदिर, गालव ऋषि गौशाला, स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरि वेद पाठशाला, विकलांग सेवा, निःशुल्क चिकित्सा जैसी सेवायें कार्यान्वित हैं।

समय समय पर पूज्य गुरूदेव आश्रम में नियमित आते रहे हैं।

स्वामी अवधेशानन्द जी स्वामी गोविंददेव जी, स्वामी राजेश्वरानंद जी, स्वामी शंकर भारती आदि सन्तों की भी कृपा आश्रम पर हुई है। अध्यक्ष एवं संरक्षक समन्वय सेवा ट्रस्ट हरिद्वार, महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरि जी एवं महामण्डलेश्वर स्वामी अखिलेश्वरानन्द जी के मार्गदर्शन और आर्शीवाद से ग्वालियर समन्वय सेवा आश्रम निरन्तर फलफूल रहा है, और यहाँ लोकहित कार्यों का संपादन हो रहा है।